January 28, 2018 12Comments

चोंचले


अनुशासन का पाठ पढ़ाता,
धुल-धुल होती काया।
प्रपंचों के इस दलदल में,
हमने ओर न छोर पाया।
सरस्वती, लक्ष्मी का गठजोड़,
हो रहा सब पर तारी।
एक दूजे की की पूरक बनकर
सब पर भारी
आत तार्या से कांपती धरती
शेषनाग का सिंहासन डोला।
भुवन मोहिनी मुस्कान लिए,
लक्ष्मी ने लिया हिचकोला।
रीझ गए माया पर ईश्वर,
झटपट अपना पट खोला।
कथनी और करनी में देखो,
जमीं आसमां का फर्क है,
अपने दहेज विरोधी परम मित्र ने
दहेज की गाड़ी पर लिख डाला
दुल्हन ही दहेज है।

-गोकुल कोठारी, नोएडा

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gtripathi

12 comments

  1. very nice

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  2. अति सुंदर

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  3. Bahut badiya

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  4. Very nice poem

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  5. Wha wha gokuk da one more

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  6. Very very nice poem

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  7. Very nice good going best of luck

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  8. Wah Mama g Bahut achi

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  9. Great message through this poem.. Great going Mama 🙂

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  10. Wow.. Its nice.. Sir…
    Ji..

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