February 12, 2018 0Comment

चारों दिशा से नर-नारी सब,होली खेलन आत

प्रात: से जहां भंग छनत है,सब रंग गुलाल उड़ाते।

चारों दिशा से नर-नारी सब,होली खेलन आत।।
मस्त मलंगों की जहां टोली, सभी जहां दिवाने।
पान घुला के रंग जमा के,सब लूटत सारे खजाने।।
गुझिया नमकीन और ठंडई,लवके चारों कोना।
छनत जलेबी और पकौड़ी,बजत कड़ाही पौना।।
ऊंच-नीच का भेद नहीं, जहां कोई बड़ा ना छोटा।
रंग लगाकर गले मिल रहे,क्या पतला क्या मोटा।।
एक तरफ नर की टोली तो, एक तरफ़ हैं नारी।
एक तरफ़ बच्चों की टोली,सब हाथ लिए पिचकारी।।
होली मिलन में एक तरफ़,सब करते हैं मारा-मारी।
एक तरफ सब रंग लगाकर, मिलते हैं पारा-पारी।।
ऐसी होली काशी की है,जो हर तरफ हैं धूम मचाई।
हांथ जोड़ मिश्रा भी देता, होली की सबको बधाई।।
-अशोक कुमार मिश्रा
  सेंचुरी पल्प एंड पेपर, घनश्याम धाम
  लालकुआं नैनीताल उत्तराखंड
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