February 12, 2018 6Comments

खेलूं कान्हा संग होली

रंगों के बादल बरसे,
सखियां पानी-पानी।
चपल श्याम हाथ न आवे,
भीगे राधा रानी।
सोच रही अब राधा रानी,
भर-भर कर सिसकारी।
जो श्याम को भिगो सके,
लाउं कहां से पिचकारी।
गोपी संग झूमे कन्हैया,
करते हैं बर जोरी,
आंख तरेरे राधा रानी,
चुपके चोरी-चोरी।
रंग रसिया यह आंखें चंचल,
माने कहां निगोरी,
यमुना तट पर खड़ी गोपियां
करती हंसी चिरौरी,
अब किसकी चुनरी श्याम चुरावे,
अब किसकी बारी,
मैं बलिहारी जाउं देखन,
वृंदावन की होरी,
फाग का रंग बनंू
खेलूं कान्हा संग होरी
खेलूं कान्हा संग होरी
चंद्र हास चंचल चितवन का, चमके चांद चकोर
माखन दधि की मटकी फोड़े, जब मुरली मनोहर
माखनचोर।
-गोकुल कोठारी, गाजियाबाद

Social Share

gtripathi

6 comments

  1. Ati sundar

    Reply
  2. Very nice sir

    Reply
  3. Sir very good

    Reply
  4. Good

    Reply
  5. Bahut khub…..

    Reply

Write a Reply or Comment