September 25, 2017 5Comments

कलियुग में रामलीला

त्रेतायुग में रामलीला चल रही थी कि एक राक्षस ने ब्रहमलोक पहुंचकर विधि के विधान में छेड़छाड़ कर दी। इससे सारे पात्र कलियुग में पहुंच गए। मां सीता के अपहरण के बाद अचानक जलवायु में हुए परिवर्तन को भगवान राम भी समझ नहीं पाए। घने जंगल मल्टी स्टोरीज बिल्डिंगों में बदल गए। ताजी हवा की जगह फैक्ट्रियों और वाहनों का धुआं सांस में आने लगा।
फिलहाल श्रीराम ने सबको अनदेखा करते हुए मां सीता की खोज प्रारंभ की और आवाज लगाई-
हे खग मृग हे मधुवन श्रेनी;
तुम देखी सीता मृगनयनी।
इतने में लक्ष्मण जी ने कहा-भ्राता श्री राम! आप किससे पता पूछ रहे हैं? यहां तो न कोई खग है और न ही कोई मृग। यहां तो सिर्फ मानव ही मानव हैं। लक्ष्मण ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए राहगीरों से मां सीता के बारे में पूछना शुरू किया। चार-पांच राहगीरों के गुमराह करने के बाद एक ने पुलिस में जाने की सलाह दी। पता पूछते-पूछते राम-लक्ष्मण बमुश्किल थाने पहुंचे। थाने पहुंचते कांस्टेबिल ने बाहर ही रोक लिया और कहा-अरे कहां घुसे जा रहे हो, क्या काम है? श्री राम ने नम्रता पूर्वक हाथ जोड़ते हुए कहा कि मान्यवर हमारी धर्मपत्नी सीता कहीं ओझिल हो गईं हैं। कृपया आप उन्हें ढूंढ़ने में हमारी मदद करेंगे। कांस्टेबिल ने श्रीराम को नीचे से ऊपर तक देखा औैर कहा रिपोर्ट लिखाने आए हो और खाली हाथ चले आए। तुम्हे किसी ने तमीज नहीं सिखाई। पहले तो तुम जैसे जैसे लोग अपने घर का ध्यान नहीं रखते। जब कुछ हो जाता है, तो यहां चले आते हो। घर में खुद ताला लगाकर जाएंगे नहीं और जब चोरी हो जायेगी तो पुलिस को कोसने लगेंगे। उधर, गेट पर हंगामा होता देख थानेदार ने अंदर से आवाज लगाई-क्या हो रहा है? कौन है उसे अंदर भेजो। कांस्टेबिल की डांट खाकर सकते में आए दोनों भाई थानेदार के पास पहुंचे। थानेदार ने भी दोनों को देखते ही क्लास लेना शुरू की-ये हाथों में क्या लिए हो। इस बार लक्ष्मण ने जवाब दिया-मान्यवर ये हमारे शस्त्र धनुष बाण हैं। इसके लाइसेंस हैं तुम्हारे पास। कहां से लिए ये खतरनाक हथियार? थानेदार ने तेज आवाज में पूछा। सीता को भूल अब राम लक्ष्मण एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। श्री राम ने बात संभालते हुए कहा-देखिए बंधुवर ये शस्त्र हमारे पूर्वजों के हैं। ये काफी पुराने हैं और लंबे समय से हमारे पास हैं। आप जिस लाइसेंस नामक चीज को हमसे मांग रहे हैं। वह कदाचित हमारे पास उपलब्ध नहीं है। हम तो यहां अपनी प्रिये सीता को ढूढने यहां आए थे। लगता है वह यहां नहीं है इसलिए आप हमें प्रस्थान करने की आज्ञा दें। थानेदार ने रूकने का इशारा करते हुए चिल्लाना शुरू किया-अच्छा तो तुम्हारी गैंग में एक और साथी है। हवलदार पैसा खींचूमल जरा आतंकवादियों वाली वो फाइल तो लाना। दोनों की क्राइम हिस्ट्री चैक करो और अगर न हो तो दोनों का फोटो खींचकर लगा दो फाइल में। पुलिस वालों से जबान लड़ाते हैं दोनो। हवलदार पैसा खींचूमल ने राम लक्ष्मण को किनारे ले जाकर चुपके से कहा-देख रहे हो साब को गुस्सा कितना तेज है! चुपचाप पांच हजार रूपए थानेदार जी को दे दो। श्रीराम ने पांच हजार रूपये की बात सुन असमंजसता जाहिर की-ये षब्द हमारे मस्तिस्क से परे है। ये रूपये किस कार्य हेतु दिए जाते हैं? हवलदार ने अपने बाल नोंकते हुए षुद्ध हिन्दी में समझाया-रूपये अर्थात धन। ये धन पुलिस से अपनी जान बचाने के लिए दिया जाता है। श्रीराम ने हवलदार की बात सुन उन्हें अपनी यथास्थिति से अवगत कराया-बंधुवर आप समझ नहीं रहे हैं हम अपना समस्त राजपाठ छोड़ चुके हैं। इस समय हम सिर्फ साधू हैं। धन को हम स्पर्श भी नहीं करते। इतने में थानेदार पीछे से फिर चिल्लाया-बहुत बंधु-बंधु कर रहे हैं दोनों। लगता है कि मुंबई के डान हैं। दोनों को लाॅकप में डालो। हवलदार ने थानेदार को आंख मारते हुए कहा-देखा साब कितना गरम हो रहे हैं। जल्दी से जो कुछ भी हो दे दो। वरना जेल अर्थात कारागार में डाल दिए जाओगे। मुसीबत में फंसता देख श्री राम ने मां सीता की उनके पास छूट गई अंगूठी निकाली और हवलदार को देकर जान छुड़ाई। थाने से बाहर निकलते ही लक्ष्मण ने पूछा-हे भात्रे ब्रह्मा जी के विधि के विधान के मुताबिक तो यह अंगूठी आपको श्री हनुमान को लंका जाते समय देनी थी। लेकिन आपने तो यहां दे दी। इस पर श्री राम बोले- हे अग्रज आने वाले समय में यह दोहा बहुत प्रचलित होने वाला है-
जान बची तो लाखों पाए;
पुलिस से बच जा, चाहे तू सब कुछ गंवा आए।
भटकते-भटकते राम लक्ष्मण को त्रेता युग से ही आए कुछ ऋषि मुनि मिल गए। कलियुग में हो रहे अत्याचारों के कथा सुनाने के बाद उन्होंने शबरी का पता बताया। एक बिल्डिंग में दसवीं मंजिल पर रह रही शबरी के पास बमुश्किल दोनों पहुंचे। डोर बेल बजाने पर बाहर निकली शबरी का राम लक्ष्मण को देखकर खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। अंदर बैठाते हुए शबरी बोली-हे प्रभो आपको देखने के लिए आंखे पथरा गईं। आपके इंतजार न जाने क्या-क्या परेशानियां झेलीं। श्रीराम मुस्कराते हुए बोले-हे तपस्वनी तुम्हारा इंतजार अब खत्म हुआ। ईश्वर से भेंट होने की खुशी तो होती है। इस पर शबरी ने टोकते हुए कहा-नहीं प्रभो मुझे आपसे मिलने की नहीं बल्कि इस इंतजार के झंझट से झुटकारा पाने की खुशी है। अरे त्रेता युग में तो बगैर किराए भाड़े का घर मिल जाता था। जंगल में जाओ तो खाने-पीने के निशुल्क फल। लेकिन यहां तो आपके इंतजार के चक्कर में चार हजार रूपये भाड़े का यह फ्लैट लेना पड़ा। रोज सौ-सौ रूपये के फल लाते-लाते सारी जमा पूंजी खत्म हो गई। कई बार ब्रह्मा जी से गुहार लगाई कि ये पता बताने का काम किसी और को सौंप दो। मुझे वहीं स्वर्ग बुला लो। आज आप आएं है तो बेर खरीदने के पैसे तक नहीं बचे। बड़ी मुश्किल से बटाटा वड़ा खरीदकर लाई हूं। उसी का सेवन करो प्रभो। भगवान श्रीराम बटाटा वड़ा का सेवन कर ही रहे थे कि ब्रह्मा जी की आकाशवाणी हुई-तकनीकी खराबी की वजह से त्रेता युग वासी कलियुग में स्थानांतरित हो गए थे। खराबी को ठीक करते हुए सभी लोगों को वापस त्रेता युग में बुलाया जा रहा है। आकाशवाणी के बाद राम लक्ष्मण सहित सभी त्रेता युग केे लोग गायब हो गए। त्रेता युग पहुंचकर सभी ने राहत की सांस ली।
-गौरव त्रिपाठी, हल्द्वानी, जिला-नैनीताल उत्तराखंड
फोन-9411913230

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gtripathi

5 comments

  1. बहुत सुंदर और चटपटा

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  2. बहुत बढ़िया

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  3. सुंदर व्यंग। आधुनिक काल की समस्याओं का ज्ञान
    कराता हुआ लेख।

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  4. बहुत खूब

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  5. सभी का आभार

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