गम के ये पहाड़ से दिन भी बीत जायेंगे
रख भरोसा उस रब पे तू हमेशा
ईद-दिवाली वाले दिन फिर लौटकर आयेंगे ||
भूलकर गम सारे हम फिर मुस्करायेंगे
एक न एक दिन तो खत्म होगी काली निशा
फिरेंगे पतझड़ वाले दिन तो महकती बसंत लायेंगे ||
बहते अश्क आंखों से रूक जायेंगे
गर्द गहरी उड़ रही है जो दिशा-दिशा
घुमड़ते बादल, देखना भोर सुहानी लायेंगे ||
गम के ये पहाड़ से दिन भी बीत जायेंगे
मत बिठा हृदय के बीच सागर सी निराशा
कर सब्र तू पल-पल तेरे झिलमिलायेंगे ||
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा, 283111