बचपन से जो कभी न टोके
हर गम में जो हंसकर बोले
ऐसे हैं मेरे पापा।
हर चोट पे जो गले लगाए,
हर बात पे जो मुस्कुराए
ऐसे हैं मेरे पापा।
मेरी वो जान हैं,
वही मेरा जहान हैं,
मां के आंसू तो अपने दर्द बयां कर देते हैं
पर बिना कुद बोले बिना आंसू बहाए
हर मुश्किल में जो मुस्कुराए
ऐसे हैं मेरे पापा।
हर कदम पे जो साथ चले
हर मोड़ पे जो परछाई बने
ऐसे हैं मेरे पापा।
मेरे सिर्फ एक आंसू पर
जो घर पूरा सिर पर उठा ले
ऐसे हैं मेरे पापा।
परछाई की तरह जो कभी साथ न छोड़े
हर ख्वाहिश पूरी करने में जी-जान लगा दे
ऐसे हैं मेरे पापा।
जब कभी उदास हो
चुपके से आके जो हंसा दे
ऐसे हैं मेरे पापा।
-ज्योत्सना कलखुड़िया, देवभूमि काॅलेज आफ एजुकेशन बनबसा