June 09, 2020 3Comments

उसी से मेरा सच्चा नाता है

उसी की मैं अंश हूं,
उसी से मेरा सच्चा नाता है,
उसी की परवरिश से,
मैंने अपने जीवन में सांसें पाईं।

वो ही हैं जिन्होंने मुझे बचपन में,
उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
अपने कंधे पर बिठाकर मुझे,
पूरी दुनिया की सैर कराई।

रूठ जाए चाहे सारी दुनिया हमसे,
हर मुश्किल में बनकर साया,
हर कदम पर साथ निभाते,
एक पिता है जो हमें इस संसार से बचाते।

हमें इस दुनिया में लाते,
सत्य न्याय का पाठ पढ़ाकर,
हमें नई राह दिखाते,
खुद कष्टों को सहकर के।

हमें उंचाई तक वह ले जाते,
अपने आंसू कभी न दिखाते,
हर गम को वह सह जाते,
अपने परिवार पर कभी आंच न आने देते।

प्यारी-प्यारी बातों से,
हम सबको हंसाते रहते,
पिता ही हमारे मान और सम्मान हैं,
उन्हीं से हमारे घर की पहचान है।

घर के हर एक कोने में
शामिल है खून पसीना,
कभी अभिमान तो कभी
स्वाभिमान हैं पिता।

ज्ञान का भंडार
दया का सागर हैं पिता,
पिता का दिल तुम कभी
न दुखाना।

हर दम उनका मान बढ़ाना,
बेटी-बेटा होने के नाते
अपना फर्ज जरूर निभाना।

-बिपाशा पौड़ियाल, बीएलएम एकेडमी हल्द्वानी

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gtripathi

3 comments

  1. Awesome poem Bipasha

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  2. Wawww such a beautiful poem bipasha

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  3. Heart touch

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