पिता संसार में सबसे प्यारा है,
उनका काम करने का अंदाज निराला है।
फिर प्यार हो या व्यापार हो वो सब में आला है।
उसका सबको साथ लेकर चलने का ढंग निराला है।
उनका काम करने का अंदाज निराला है।
पिता अपने दुखों को पीकर
हम पे प्यार लुटाने वाला है।
जेब खाली हो फिर भी हमारी जरूरतों को
सराखों पे रखने वाला है।
पिता अपने प्राणों को हमारी मुस्कुराहटों पर न्यौछावर करने वाला है।
गलती करने पर क्षमा दान दे गले से लगा लेने वाला है।
पिता का अंदाज ईश्वर को भी प्यारा है।
उन्हें समझना और कठिन हो जाता है।
जब वे मुश्किल परिस्थितियों में भी मुस्कुराता है।
परिवार में अनबन हो, वे समझा-बुझाकर मना ले जाता है।
पर बाद में वो क्यूं बुरा कहलाता है।
उन्हें प्यार से एक साथ देख वे ये सब भी हंसते-हंसते टाल जाता है।
कभी डांट फटकार तो कभी हमारे लिए बालवीर और घोड़ा गाड़ी बन जाता है।
वो ही तो हमारे मित्र या भाई बन हमारा साथ जिंदगी भर निभाता है।
पिता ही तो हमारे घर का शिक्षक कहलाता है।
जो हमें सच्चाई और प्रेम की राह दिखा बुराई से बचाता है।
पिता ही ईश्वर के बाद हमारे भाग्य का विधाता बन जाता है।
पर क्यूं उनके वृद्व समय में हम उनके काम नहीं आते
जो जिंदगी भर परछाईं की तरह हमारा साथ निभाते
हमारी हर दुखों का समाधान बन जाते
हां! वो ही तो पिता कहलाते।
-अनुभव राय, लेक्स इंटरनेशनल स्कूल भीमताल
June 8, 2020
Nice poem
June 8, 2020
Aussum very nice
June 8, 2020
Mind blowing
June 8, 2020
Nice poem beta
June 9, 2020
अति सुन्दर
June 11, 2020
Very nice poem bro… I like it..
June 12, 2020
Nice thought
And supar poem
June 12, 2020
Nice nice poem beta good very good