उंगली पकड़कर जिसने चलना सिखाया,
हर परेशानी से लड़ना सिखाया।
सुख-दुख में साथ हैं देते,
खूब सारी खुशियां हैं लाते।
मेरे पिता है मेरी परछाईं
जो हमें सही राह दिखाते।
इनसे पूरा हमारा हर एक सपना
इनकी तारीफ में हजारों बातें कहना।
प्यार का सागर ले आते,
फिर चाहें कुछ न कह पाते।
दूर रहकर भी हमेशा प्यार उन्होंने बरसाया
एक छोटी सी आहट से मेरा साया।
पूरी करते हर मेरी इच्छा
उनके जैसा नहीं कोई अच्छा
मम्मी मेरी जब भी डांटे
मुझे दुलारते मेरे पापा।
-आंचल मेहरा, सरस्वती एकेडमी हल्द्वानी