June 06, 2020 0Comment

आज भी याद है बचपन के वो पल

आज भी याद है बचपन के वो पल
जहां आंखों में सपने और न दिल में छल था
जहां पापा ने उंगली पकड़कर चलना सिखाया
वहीं उन्हीं के दिए आत्मविश्वास ने
गिरने से भी उठना सिखाया
हाथों में बैग लेकर स्कूल जाना
और अपनी मीठी-मीठी बातों से सबको लुभाना,
वहीं घर आकर पापा को रिझाना।
और प्यार से उनका गले से मुझे लगाना,
कभी मां की डांट से पापा के पीछे छिप जाना।
तो खुद उनकी डांट सहकर मुझे मां से बचाना,
होली दिवाली पर अपने कपड़े भूलकर हमको नए कपड़े दिलाना।
और खिलौनों की फरमाइश पर अपनी सेविंग से पैसे जुटाना।
जहां मां ने संस्कारों में रहना सिखाया
वहीं पापा ने मुश्किलों से लड़ना सिखाया,
लोग कहते हैं बेटी मां का साया होती है।
पर जरूरी तो नहीं वो हमेशा मां जैसी ही होती है।
अगर बेटी मां का साया है तो
वहीं बेटी पापा की भी परछाई होती है।
आज भी याद हैं बचपन के वो पल…..।

-शोभा नेगी, राजकीय बालिका इंटर काॅलेज, हल्द्वानी

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