इससे, उससे आंख मिलाना,
ताक झांक कर गाने गाना,
घर वाली पर रौब जमाना, अब छोड़ो भी
इसकी, उसकी चुगली खाना
बेईमानों का साथ निभाना
फंस जाने पर सिर खुजलाना, अब छोड़ों भी
कद्दू लौकी के भाव बढ़ाना
हां जी हां जी
झपताल बजाना
चौराहे पे,शाम को जाना, अब छोड़ो भी।
मैली गंदी टोपी लाना
खादी को बदनाम कराना
निरे गधों पर मुहर लगाना, अब छोड़ो भी।
नये पुराने मुद्दे लाना,
घड़ी घड़ी आयोग बैठाना
चांदी के जूते चमकाना, अब छोडों भी।
इसको पढ़के, भौह चढ़ाना,
मन ही मन में
कुढ़ते जाना,
तौबा! तौबा! यूं शरमाना, अब छोड़ों भी।।
श्रीमती बीना जोशी ‘हरषिता’
अध्यापिका, आर्यमान विक्रम विरला इंस्टीट्यूट आफ लर्निग
हल्द्वानी 263 139, नैनीताल, उत्तराखण्ड