पापा मेरी नन्ही दुनिया,
तुम्हारे साये में ही पली-बढ़ी,
आज बड़ी हो गई है।
आपने समझाया, रख हौसला,
न देख पीछे यह संसार बौना है,
आसमां का कद भी तुझसे छोटा है।
जब पाओ खुद को अकेला,
न घबराना मेरी बिटिया,
तेरे पिता का साथ हमेशा है।
न पीछे हटना, न डरना,
न झुकना, तुझे हाथ
बढ़ाकर सूरज को छूना है।
आज शिखर पर हूं,
सबकुछ है मेरे पास,
पर आप नहीं हो तो लगता है,
जैसे सब कुछ पाकर भी खाली हैं मेरे हाथ।
बरगद की शीतल छांव थे आप,
पर अब बिना छत की दीवार हूं मैं,
इन सबके बावजूद मैं घबराती नहीं।
क्योंकि मेरे पास आपकी सीख है,
हर मुश्किल से तर जाउंगी,
सबसे लड़ जाउंगी,
हां मैं जीतकर ही आउंगी।
-प्रियांजली बनौला, हल्द्वानी