September 26, 2017 2Comments

जाग रहा दशानन और राम सो गया

आज का जमाना ये कैसा हो गया, कि जाग रहा दशानन और राम सो गया
एंबुलेंस में लेटे मरीज का भीड़ में, चार कदम चल पाना मुश्किल हो गया
लोग कहते मोहल्ले में जिन्हें सज्जन , उनका एंबुलेंस के रास्ते से हट पाना मुश्किल हो गया।
जाग रहा दशानन और राम सो गया।
लोग पूजते थे जिन्हें आंख बन्द करके, उनका पूजा करना मुश्किल हो गया
एक राम रहीम और आशाराम के चलते, कितनों का खाना-पीना मुश्किल हो गया
जाग रहा दशानन और राम सो गया।
अच्छे दिन के भरोसे जिनको जिताया था कभी, उन नेताओं से मिल पाना आजकल मुश्किल हो गया
है भरोसा आज भी तुम पर मेरे मोदी, पर जीएसटी के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया
जाग रहा दशानन और राम सो गया।
आजकल बहनों का सरे राह पर चलना मुश्किल हो गया।
करें रक्षा राम बनके, उन भाइयों का मिल पाना मुश्किल हो गया
अब हर मोड़ पर मिलता दशानन, राम का मिल पाना मुश्किल हो गया
जाग रहा दशानन और राम सो गया।
-अनुराग मिश्रा, लखनऊ

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gtripathi

2 comments

  1. Captivating lines sir…!! and its a great to see you framing irony of society through words..!! ” CHANGE YOUR WORDS..CHANGE YOUR WORLD”.

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  2. Thank you satya prakash ji .

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