आज सुबह होते ही हुआ आफिस के लिए तैयार
जैसे निकला वैसे ही इंद्र देव ने किया बारिश का प्रहार
होते ही बारिश का प्रहार, मन ही मन सकुचाया
कैसे जाउं अब आफिस कुछ समझ ना समझ नहीं आया
किया तैयार मन को आफिस जाने के लिए
और उठाई बाइक और हम चल दिए
चलते-चलते राह में पड़ी पैंट पर नजर
पहनी थी सफेद पर अब थी, काले छींटों से तरबतर
तभी अचानक मैंने सोचा इन छींटों ने मुझे कैसे दबोचा
तो देखा,
नहीं मडफलैप था एक भी गाड़ी में
कहीं बैठे युवक कहीं युवतियां साड़ी में
सोचा कैसा जमाना हो गया रिश्तों से प्यार और गाड़ियों से मड फलैप खो गया
मड फलैप ने दी थी हमें सीख खुद को बचाने से पहले दूसरे को बचाना सीख
जब सब के सब मड फलैप लगाएंगे, तभी तो जाकर हम सभी एक दूसरे को बचाएंगे।
अनुराग मिश्रा, नवीन, लखनउ
September 21, 2017
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