
एक होली भी हम संग मना लीजिये ।
मेरे हाथों से कुछ रंग लगा लीजिये ।।
गुलालों की ये खुशबू महकने लगी,
रंग गालो की अब तो चमकने लगी,
हाथ हम जो पकड़ ले तो क्या कीजिये,
एक होली भी हम संग मना लीजिये ।
मेरे हाथों से कुछ रंग लगा लीजिये ।।
हाथ हाथो से बिल्कुल न छूटेगी अब,
प्यार का रंग बिल्कुल न छूटेगी अब,
हमको भी इस रंग में रंगा दीजिये,
एक होली भी हम संग मना लीजिये ।
मेरे हाथों से कुछ रंग लगा लीजिये ।।
इस होली में मेरी तु हो जायेगी,
जब ये दुनिया नशे में सो जायेगी,
अब तो इकरार ऐ मोहब्बत कर लीजिए,
एक होली भी हम संग मना लीजिये ।
मेरे हाथों से कुछ रंग लगा लीजिये ।।
आओ होली में मिलके झूमें सनम,
एक दूजे को रंग से रंगाये सनम,
मांग रंगों से भर दु तो क्या कीजिये,
एक होली भी हम संग मना लीजिये ।
मेरे हाथों से कुछ रंग लगा लीजिये ।।
“दिनेश ढाली”
February 23, 2018
Lovely poetry #दिनेश..
February 26, 2018
Aswm lines bhai dil Chu gyi
February 27, 2018
Wah…..Dinesh bahut khoob dil chhu gya
February 28, 2018
वाह…दिनेश भाई मज़ा आ गया
March 5, 2018
Very nice dinesh ji
Realy its beautiful song
March 5, 2018
Nice poem sir
And I have found you as a good person.
March 8, 2018
Keep it up Dhali ji
Very nice poem